बुधवार, 8 नवंबर 2017

ज़िस्म ये रूह है, मिट्टी है, ख़ला है, क्या है ?



ज़िस्म ये रूह है, मिट्टी है, ख़ला है, क्या है ?

-अरुण मिश्र  

ज़िस्म  ये  रूह  है,  मिट्टी  है,  ख़ला  है,  क्या है ?
नूर   है,  आग   है,   पानी  है,  हवा  है,   क्या है ?

साँस   की   बंसरी   को    रोज़    नये  सुर   देता;
कोई  फ़नकार  है,  शायर  है,  ख़ुदा  है,  क्या है ?

कभी  डसती,  कभी  लहराती,  कभी  छा जाती;
कोई  नागिन है,  ज़ुल्फ़  है  कि,  घटा है,  क्या है?

आँखें   इस्रार   करें,   लब  पे  मुसल्सल   इन्कार;
कोई आदत है  कि,  ज़िद है  कि, अदा है,क्या है?

इश्क़ को हुस्न के रखते हो मुक़ाबिल जो, 'अरुन ';
है  ये  ख़ुद्दारी,  जुनूँ   है  कि,  अना  है,   क्या  है ?
                                        *

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