सोमवार, 23 अक्तूबर 2017

गर दिवाली का नतीजा........


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गर दिवाली का नतीजा न दिवाला होता...
-अरुण मिश्र 

गर  दिवाली  का  नतीजा  न  दिवाला    होता। 
चाँद  का  मुँह  तो अमावस को न काला होता।।

तेल - बाती   के   लिए   सारे   दिए   हैं  बेचैन।
रौशनी कैसे  हो,  कुछ  जलने  तो वाला  होता।।

बिना  मिठाइयां, फीके   तो  न   लगते त्यौहार।
काश ! खाया  न   कभी,  मीठा  निवाला  होता।।

गुड़  कहाँ,  दूध  कहाँ, आँटा   कहाँ  से  लायें।
इस से  बेहतर  था,  कोई  ख़्वाब  न पाला होता।।

तंगदस्ती  से   ‘अरुन’ ,  तंग  रहे  होंगे  जरूर।
वर्ना  दरवाज़े  से,  क्या  दोस्त को  टाला  होता।।
                                  *


रविवार, 15 अक्तूबर 2017

श्री लक्ष्मी-गणेश जी की आरती

आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की....

            वर्ष २०११ में दीवाली-पूजन के समय मन में यह विचार 
आया कि,  इस अवसर पर जब लक्ष्मी-गणेश की साथ-साथ 
पूजा होती है तो,एक संयुक्त आरती भी होनी चाहिए | पर, घर में 
उपलब्ध आरती सग्रहों में ऐसी कोई संयुक्त आरती नहीं मिली | 
गणेश जी की जहाँ कई आरती मिली, वहीँ लक्ष्मी जी की  केवल 
एक आरती ही मिल पाई | ऐसा शायद सरस्वती-पुत्रों के लक्ष्मी 
मैय्या के प्रति सहज पौराणिक अरुचि के कारण हो, जो 
अनावश्यक ही,  "लक्ष्मी समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम......"  का 
दुराग्रह पाले रहते हैं और इसी कारण प्रायः उन की विशेष कृपा 
से वंचित रह जाते हैं |
           अस्तु, इस दृष्टिकोण से एक संयुक्त आरती लिखने का 
प्रयास  किया जो, मेरी जानकारी में हिंदी की पहली और एकमात्र 
श्री लक्ष्मी-गणेश जी की संयुक्त आरती है। तीन छंदों की यह आरती 
दीपावली-पूजन के उपयोगार्थ, समस्त भक्त-जनों को सादर-सप्रेम 
प्रस्तुत हैं |     -अरुण मिश्र .

पुनश्च  :

          वर्ष २०१२ की दीपावली पर मेरे संगीतकार मित्र श्री केवल कुमार ने 
इस आरती को संगीतबद्ध  किया है जो, सभी भक्त जनों को दीपावली-पूजन 
हेतु सस्नेह भेंट की जा रही है। आरती को स्वर, सुश्री प्राची चंद्रा एवं सखियों 
ने दिया है। एतदर्थ, मैं इन सबका आभारी हूँ। 
माँ लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की आप सब पर अशेष कृपा बरसे।
दीपावली की असंख्य शुभकामनायें। -अरुण मिश्र .


  

                         *आरती* 

आरति   श्री  लक्ष्मी-गणेश   की | 
धन-वर्षणि की,शमन-क्लेश की ||
             
             दीपावलि     में     संग     विराजें |
             कमलासन - मूषक     पर    राजें |
             शुभ  अरु  लाभ,   बाजने    बाजें |
           
ऋद्धि-सिद्धि-दायक -  अशेष  की || 

    
             मुक्त - हस्त    माँ,   द्रव्य    लुटावें |
             एकदन्त,    दुःख      दूर    भगावें |  
             सुर-नर-मुनि सब जेहि जस  गावें |
             

बंदउं,  सोइ  महिमा विशेष  की ||


             विष्णु-प्रिया, सुखदायिनि  माता |
             गणपति,  विमल  बुद्धि  के  दाता |
             श्री-समृद्धि,  धन-धान्य    प्रदाता |

मृदुल  हास  की, रुचिर  वेश की ||
माँ लक्ष्मी, गणपति  गणेश  की ||

                                 * 


                                                                       -अरुण मिश्र  

(पूर्वप्रकाशित)