मंगलवार, 5 मार्च 2013

आज की शाम तेरे नाम कर रहा हूँ मैं.....

ग़ज़ल 

आज की शाम तेरे नाम कर रहा हूँ मैं.....

-अरुण मिश्र.


तुम्हारे  नाम  का,  इक  ज़ाम  भर  रहा  हूँ  मैं। 
आज  की  शाम,    तेरे   नाम   कर  रहा  हूँ  मैं।।
   
फूल   की   पंखुरी  को   चूम   कर,   तेरे   आगे। 
अपने   बूते   से   बड़ा   काम,  कर  रहा  हूँ   मैं।।
   
तुम्हारे  ज़ुल्फों   से   खेलेगी,  रिझाएगी  तुम्हें। 
हवा   के   हाथों   में,   पैग़ाम   धर  रहा   हूँ   मैं।।
   
तुम्हारे  ख़्याल   के  पंछी  जो  बहुत  चंचल  हैं। 
तो  अपने फि़क्र को भी,   दाम  कर  रहा  हूँ  मैं।।
   
शम्आ-परवाने का यूँ  जिक़्र  बार-बार  ‘अरुन’। 
कुछ  तो   है  राज़,  जिसे  आम  कर रहा हूँ  मैं।। 
                                          *

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें