सोमवार, 7 जनवरी 2013

मौत के मुँह में गये फिर आ गये वापस हैं हम..........

मौत के मुँह में गये फिर आ गये वापस हैं हम....

-अरुण मिश्र.

मौत के  मुँह में गये,  फिर आ गये  वापस हैं हम। 
इश्क़ करके भी हैं ज़िंदा,  साहिबे-किस्मत हैं हम।।
  
कैसे-कैसे है निभाया, किससे-किससे,  क्या कहें? 
जो डसे,  उससे ही,  पानी  माँगने  लायक  हैं हम।।
  
सोहबते-दानिशवरां   से,  रफ़्ता-रफ़्ता   ही  सही। 
सबके-सब  हम्माम में नंगे;  हुये क़ायल  हैं  हम।।
  
तू  ‘अरुन’ मत रो  कि,  तेरे साथ ही  बह जायेंगे। 
यूँ  तो हैं कालिख़ सही, पै आँख के काजल हैं हम।। 
                                           *


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