रविवार, 30 सितंबर 2012

आप मेरे हुज़ूर भी रहिये.....




ग़ज़ल

आप मेरे हुज़ूर भी रहिये.....

-अरुण मिश्र.

आप     मेरे     हुज़ूर    भी    रहिये।
बा-अदब,   बा-शऊर    भी   रहिये।।

कुछ अज़ब सी हैं ख़्वाहिशें उसकी।       
पास  भी  रहिये,   दूर   भी   रहिये।।

जाम   नज़रों  के,  पीजिये  हरदम।
और   फिर,    बेसुरूर   भी   रहिये।।

मिस्ले-काजल भी रहिये आँखों में।
हो  के  आँखों  का  नूर,  भी  रहिये।।

आप    बेशक़    गुनाह   भी   कीजे।
ज़ाहिरा     बेकुसूर      भी     रहिये।।
                               *

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