शनिवार, 11 फ़रवरी 2012

तुम्हारा है हुनर ताजा सितम ईज़ाद कर लेना...........


ग़ज़ल 


-अरुण मिश्र   

कभी  भूले से ही  हमको,  कोई  दिन  याद  कर लेना। 
मेरी  बरबादियों पे  ख़ुश हो,  तो दिल शाद  कर लेना॥

ये तुम पे है,  हमारे हक़ में,  क्या  इन्साफ  करते हो। 
हमारे  हाथ  में  है,  रो  के   बस  फ़रियाद  कर लेना॥

हमारा  हौसला  है,  हर  जफ़ा  को   हॅस के  सह लेंगे। 
तुम्हारा  है  हुनर,  ताजा  सितम   ईज़ाद  कर  लेना॥

'अरुन' के मुँह पे ही,उनकी बुराई  यूँ  न कर ज़ालिम। 
वो  महफ़िल  से चले जायें,  तो उसके बाद कर लेना॥
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